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प्रशंसा सुनना दुखदायी लेकिन निंदा सुखदायी:राजेश्वरानंद


जगतपुरी अनारकली गार्डन स्थित श्री राजमाता जी मंदिर में कार्यक्रम आयोजित

सूत्र 29 Dec 2022 313

दिल्ली:- अपनी प्रशंसा सुनने की नही निंदा सुनने की आदत बनाइए यह संदेश दिया स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज ने सनातन संस्कृति द्वारा अंग्रेजी नववर्ष स्वागत हेतु आयोजित श्रीराम कथा के चौथे दिन जगतपुरी अनारकली गार्डन स्थित श्री राजमाता जी मंदिर में उपस्थित भक्तजनों को।
श्री राम कथा के चौथे दिन भक्तसमूह को संबोधित करते हुए स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज ने नारद मोह प्रसंग पर कहा कि"जो नारद सदा नारायण नारायण का उदघोष करता है वही नारद जी जब नारायण को अपशब्द,श्राप दे रहे थे तो नारायण के साथ लक्ष्मी जी सब देखकर अचंभित होकर बोली प्रभु देवऋषि को क्या हो गया है?नारायण मुस्काते हुए बोले तुमने प्रशंसा सुनने की आदत बना ली है बस यह दिक्कत है।इससे शिक्षा मिलती है कि किसी व्यक्ति की जब तक स्वार्थपूर्ति होती हैं तो वह आपकी प्रशंसा करेगा।स्वार्थपूर्ति न हुई तो निंदा शुरू।
प्रशंसा सुनना आपको अभिमान,भ्रम पैदा करके अपने लक्ष्य से भटका सकती हैं।दूसरी तरफ अपनी निंदा सुनना तो वह साबुन जानो जो कपड़े की तरह आपको निखार देती हैं।आप अपने अवगुणों से अनजान हैं तो निंदक आपको आपके अवगुणों से परिचित कराता है।निंदक को अपना सच्चा मित्र जाने जो आपकी उन्नति के लिए प्रयासरत है।
स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज ने आगे बोलते हुए कहा कि "भस्मासुर ने तप करके शंकर भगवान से वर लिया की मै जिसके सिर पर हाथ रखूं वो भस्म हो जाए, वरदान की सफलता सिद्धि देखने के लिए भगवान शंकर के सिर पर ही हाथ रखने चला।भस्मासुर अभी मरा नहीं।मनुष्य जिससे गुण शिक्षा प्राप्त करता हैं और फिर उसी को नीचा दिखाने या उसीके विरुद्ध बात या कार्य करते हैं तो उन्हें भस्मासुर ही जानो।
कथा विराम पर सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा पाठ रामायण जी,गुरुदेव जी की आरती के बाद भंडारा प्रसाद वितरण किया गया।



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