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बढ़ता व्यापार, घटती आमदनी


समय ने ऐसा पलटा मारा कि किसी को भी नहीं छोड़ा है। लेकिन यहाँ एक बात सोचने की यह है कि लोगों की आय घट रही है, काम-धंधे चौपट हो रहे हैं पर शेयर बाजार दिनों-दिन चढ़ता ही जा रहा है अर्थात् वहाँ मुनाफा ही मुनाफा हो रहा है। बड़ी-बड़ी कंपनियाँ दिन-रात लाभ ही लाभ कमा रही हैं और छोटे व्यापारी या तो काम-धधा बंद कर चुके हैं या फिर उनका सब कुछ चौपट हो चुका है।

डा. नीरज भारद्वाज 21 Sep 2021 242

 

उपर्युक्त विषय को पढ़ते ही एक दम अटपटा लगा होगा कि यह कैसे हो सकता है। क्योंकि व्यापार बढ़ता है तो आमदनी भी बढ़ती है और लोगों के खर्चे भी वैसे ही होते हैं लेकिन ध्यान से सोचें तो आज यही सभी कुछ हो रहा है। बड़े-बड़े उद्योगपति इस दौर में आगे निकल रहे हैं, छोटे चौपट हो रहे हैं।

व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है वह समाज में ही उठता-बैठता है। समाज के आधार पर ही वह अपने जीवन के निर्णय लेता है। व्यक्ति के साथ बहुत से सामाजिक बंधन भी होते हैं और जब वह सामाजिक बंधनों को तोड़ता है तो व्यक्ति असामाजिक कहलाने लगता है। दूसरी बात यह है कि समय और व्यवस्था के साथ साथ समाज में परिवर्तन भी आ जाता है और बहुत सारे बंधनों को तोड़ना पड़ता है या फिर वो स्वयं ही टूट जाते हैं लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि समाज का मूल तत्व नष्ट हो चुका है। सोचा जाए तो समाज समय की धारा के साथ अपने को परिवर्तित तो करता है लेकिन उसकी जड़ें हमेशा स्थापित रहती हैं।

हम यहाँ कोरोना महामारी के चलते बदलते समाज की बात कर रहे हैं। कोरोनावायरस के चलते पूरी दुनिया की व्यापार व्यवस्था में मानो एक सुनामी आ गई। बहुत कुछ तेजी से बदला। भारतवर्ष की बात करें तो यहाँ भी कितने ही लोग इस बीमारी के चलते मौत के ग्रास बन गए और कितने ही लोगों के घर उजड़ गए। आर्थिक रूप से कितने ही लोगों के काम-धंधे चौपट हो गए। कितने ही लोगों का रोजगार समाप्त हो गया। शारीरिक और आर्थिक रूप से कमजोर होते लोगों को दो वक्त की रोटी के लिए सरकार की फ्री योजनाओं का मुँह ताकना पड़ रहा है। सरकार राहत पैकेज दे रही है लेकिन वह दिखाई क्यों नहीं दे रहे हैं। लोन की कोई भी किस्त कम क्यों नहीं हो रही है। सभी कुछ ज्यों का त्यों दिखाई दे रहा है। लोगों को मुट्ठी भर अनाज देकर सरकार अपनी वाह वाहई लूट रही है, विपक्ष शोर मचा रहा है।

समय ने ऐसा पलटा मारा कि किसी को भी नहीं छोड़ा है। लेकिन यहाँ एक बात सोचने की यह है कि लोगों की आय घट रही है, काम-धंधे चौपट हो रहे हैं पर शेयर बाजार दिनों-दिन चढ़ता ही जा रहा है अर्थात् वहाँ मुनाफा ही मुनाफा हो रहा है। बड़ी-बड़ी कंपनियाँ दिन-रात लाभ ही लाभ कमा रही हैं और छोटे व्यापारी या तो काम-धधा बंद कर चुके हैं या फिर उनका सब कुछ चौपट हो चुका है। आन लाइन शापिंग के चलते छोटे दुकानदार जमीन पर आ गये। उनके खर्चे भी पूरे नहीं हो पा रहे हैं। आन लाइन व्यापार की छूट और विज्ञापनों ने लोगों को अपनी ओर खींच लिया लेकिन छोटे व्यापारी और दुकानदार अब क्या करें। पेट्रोल-डीजल के दाम रातों-रात आसमान छू रहे हैं। जनता सवाल करे या आवाज उठाये तो वर्तमान सरकार पूर्व की सरकार को दोष दे रही है। उनकी गलत नीतियों का हवाला देकर कहती है कि तेल के दाम उनके चलते बढ़ रहे हैं। कुछ भी हो इस बयानबाजी के दौर में मार तो जनता पर पड़ रही है। क्योंकि तेल के दाम बढ़ते ही माल ढुलाई के दाम बढ़ते हैं और इसका सीधा असर जनता पर पड़ता है। महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है। आमदनी घटती जा रही है और खर्चे बढ़ रहे हैं। यह पूरी व्यवस्था समझ से बाहर चल रही है।



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