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विरोध के नाम पर विरोध


कांग्रेस के राहुल गांधी चाहते हैं कि सरकार द्वारा घोषित की गई सारी राशि लोगों में बांट दी जाए। दूसरे कई विपक्षी दल भी यही चाहते हैं कि सरकार लोगों को नकद राशि प्रदान करे। आप सोच कर देखिए कि क्या सरकार के पास इतने पैसे हैं कि वो इतनी बड़ी धनराशि लोगों को प्रदान करे।

सीमा पासी 04 Jun 2020 236

 

दुनिया में भारत के दुश्मन देश मोदी सरकार के 20 लाख करोड़ के पैकेज से परेशान हैं क्योंकि इस पैकेज का अध्ययन करके पाया गया है कि इस पैकेज का सिर्फ 20 प्रतिशत हिस्सा ही नकद के रूप में प्रभावित लोगों तक पहुंचेगा। हैरानी है कि इसी बात को लेकर मोदी विरोधी परेशान हैं कि सरकार ने लोगों की इतनी मदद नहीं की जितनी कही जा रही है। मोदी विरोधी और दुश्मन देश एक जैसी राय क्यों रखते हैं, यह सवाल परेशान करता है क्योंकि एक तो दुश्मन है लेकिन दूसरे तो हमारे ही लोग हैं।

कांग्रेस के राहुल गांधी चाहते हैं कि सरकार द्वारा घोषित की गई सारी राशि लोगों में बांट दी जाए। दूसरे कई विपक्षी दल भी यही चाहते हैं कि सरकार लोगों को नकद राशि प्रदान करे। आप सोच कर देखिए कि क्या सरकार के पास इतने पैसे हैं कि वो इतनी बड़ी धनराशि लोगों को प्रदान करे। विरोधी भी इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं, इसलिए इस पैकेज को जुमला बोल रहे हैं। 20 लाख के पैकेज की पूरी राशि सरकार नहीं देने वाली है बल्कि इसमें रिजर्व बैंक आफ इंडिया सहित अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से मिलने वाली मदद शामिल है। 

अब सवाल उठता है कि कुछ देश या लोग इस पैकेज से परेशान क्यों हैं? वास्तव में अगर सरकार अपने संसाधनों और बाहर से कर्ज लेकर भी इससे आधी धन राशि भी लोगों में बांट देती तो बहुत बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती थी क्योंकि सिर्फ दो महीने में ही सारा पैसा खत्म हो जाता और देश कर्ज के जाल में और उलझ जाता। इसकी उम्मीद सभी तरफ से की जा रही थी क्योंकि अभी तक देश में यही होता आया है। मुसीबत से निकलने के लिए सरकारें कर्ज लेकर लोगों की मदद करती हैं और वापिसी की चिंता नहीं करती। इस तरह अर्थव्यवस्था तो बर्बाद होती ही है बल्कि लोग भी एक दो महीने बाद खाली हाथ हो जाते हैं। 

सरकार ने अपनी क्षमता के अनुसार लोगों की मदद की है और कोरोना से भी जंग लड़ रही है। कोरोना से जंग के दौरान सिर्फ दो महीने में ही सरकार ने सारी व्यवस्था अपने देश मे खड़ी कर ली है ताकि देश को आयात न करना पड़े। इसकी वजह आप लोग जानते हैं कि कोरोना से जंग बहुत लंबी चलने वाली है। अगर कोई और सरकार होती तो पीपीई किट, मास्क, वेंटिलेटर और अन्य समान आयात करके मोटी कमीशन खोरी का रास्ता खोल देती लेकिन इस सरकार ने सिर्फ दो महीने में सारा सामान यहां तैयार करने की व्यवस्था खड़ी कर ली है ताकि आयात से तो बचा ही जाए, इसके साथ साथ लोगों को रोजगार भी दिया जाए। इन सामानों का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है ताकि न केवल अपनी जरूरतें पूरी हो सकें बल्कि निर्यात भी किया जा सके।

सरकार ने सदी की सबसे बड़ी आपदा में भी अपना धैर्य नहीं खोया है और वर्तमान के साथ साथ भविष्य की भी जबरदस्त तैयारी कर ली है। आर्थिक पैकेज की 80 प्रतिशत धनराशि का इस्तेमाल देश की रुकी हुई अर्थव्यवस्था को खड़ा करने में किया जाएगा। लोगों को इस समय रोजगार की बहुत जरूरत है क्योंकि करोड़ों लोगों की नौकरियां संकट में हैं। अमरीका जैसे देश में भी करोड़ो लोग बेरोजगार हो चुके हैं। चीन के भी हालात खराब हैं। पूरी दुनिया इस समस्या से जूझ रही है लेकिन हमारी सरकार इस भयानक आपदा में भी संयम रखते हुए न केवल अर्थव्यवस्था को दोबारा खड़ा करने की कोशिश में है बल्कि चीन की धूर्तता के कारण उपजी नाराजगी का फायदा उठाने के लिए भी कमर कस रही है।

यहीं से दुश्मन देशों की परेशानी खड़ी होती है। इसी कारण चीन बुरी तरह से बौखलाया हुआ है और सीमा विवाद नए सिरे से खड़ा कर रहा है। छोटे छोटे फड़ी वालों से लेकर बड़े बड़े उद्योगपतियों की मदद करने के लिए सरकार पैकेज का इस्तेमाल करना चाहती है। कुछ राशि कर्ज के रूप में और कुछ राशि गारंटी के रूप में प्रदान की जानी है। विपक्ष की कोशिश है कि सरकार यह सब करने की जगह एक बड़ा कर्ज लेकर बांट दे ताकि देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह डूब जाए और फिर मोदी सरकार को बदनाम करके अराजकता पैदा की जाए।

कल्पना कीजिए अगर लोगों के पास कोई काम ही नहीं होगा तो वे क्या करेंगे। किसानों की कर्ज की समस्या को इससे समझा जा सकता है कि किसानों की आत्महत्या के नाम पर कर्जमाफी की योजना सभी सरकारें लेकर आती हैं लेकिन अनुभव यह रहा है कि सिर्फ एक साल आत्महत्या में कुछ गिरावट आती है लेकिन फिर उसकी गति पहले से भी ज्यादा हो जाती है क्योंकि किसान दूसरी कर्जमाफी के चक्कर में इतना कर्ज उठा लेते हैं कि उसे चुकाना उनके बस में नहीं होता और आत्महत्या की दर बढ़ जाती है।

आंकड़े कहते हैं कि जहां भी कर्जमाफी की गई है वहां आत्महत्या रुकने की जगह बढ़ी ही है, कम नहीं हुई लेकिन हमारे राजनेताओं को लोगों को खुश करने और सत्ता पाने के लिए यही रास्ता दिखता है। कांग्रेस ने कर्जमाफी के नाम पर कई राज्यों में सरकारें बनाई हैं लेकिन किसानों की आत्महत्या में कहीं कोई कमी नहीं आयी है। साल दो साल बाद हालात पहले से ज्यादा बिगड़ जाते हैं।

सरकार 20 लाख के पैकेज का इस्तेमाल ऐसे करना चाहती है कि देश की अर्थव्यवस्था एक नई ताकत के साथ खड़ी हो और लोगों में खुशहाली आये और यह सब स्थायी हो न कि मुफ्त का माल लुटा कर वाहवाही हासिल करके देश को एक गहरे गड्ढे में धकेल दिया जाए।

 

 



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